यूटिलिटी डेस्क. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के पात्र लाभार्थी अब कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के जरिए भी अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इस योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को2-2 हजाररुपए की तीन किस्तें साल में(कुल6000 रुपए)दी जाती हैं। सीएससी सीईओ दिनेश त्यागी ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि पात्र किसानों कोतक योजना कालाभ पहुंचाने के उद्देश्य से कृषि मंत्रालय ने सीएससी को किसानों का रजिस्ट्रेशन करने के लिए अधिकृत किया है। फिलहाल, स्थानीय पटवारी, राजस्व अधिकारी और योजना के लिए राज्य सरकार की ओर से नामित नोडल अधिकारी ही किसानों का रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं।
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त्यागी ने कहा कि अब पीएम किसान सम्मान निधि के लिए पात्र किसान अब देशभर में फैले 3 लाख से ज्यादा सीएससी के जरिए अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। ज्यादा से ज्यादा किसानों तक इस योजना का लाभ पहुंचाने के लिए कृषि मंत्रालय ने सीएससी के साथ समझौता किया है।
- त्यागी ने कहा कि सीएससी को पुराने पंजीकरणों में बदलाव करने की अनुमति दी गई है। इसके तहत जो किसान पहले से फायदा ले रहे हैं और अपने रजिस्ट्रेशन में पता या नॉमिनी जैसा बदलवा करवाना चाहते हैं तो वह सीएससी के जरिए ऐसा करा सकते हैं।
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यह राशि दो-दो हजार रुपए की किस्तों में चार महीने के अंतराल से तीन बार सीधे किसान के बैंक खाते में जमा होगी। इसके पीछे सरकार की यह सोच है कि इतनी छोटी जमीन पर होने वाली पैदावार से किसान वर्षभर अपने परिवार का पोषण और जरूरतें पूरी नहीं कर सकता।
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रेवेन्यू रिकॉर्ड, बैंक अकाउंट नंबर, मोबाइल नंबर और आधार नंबर की कॉपी देना होगी। कोई बात समझ न आए तो अपने लेखपाल से संपर्क कर सकते हैं। लेखपाल ही यह सत्यापित करता है कि आप किसान हैं। यदि एससी/एसटी वर्ग से हैं तो उसके लिए सर्टिफिकेट देना होगा।
- पिता का नाम, जन्मतिथि, खेती की जानकारी (जैसे-खेत का आकार, कितनी जमीन है आदि) देना होगी। किसानों के नाम की लिस्ट पंचायत पर लगाई जाएगी। इसके अलावा आपके मोबाइल पर भी एसएसएस भेजा जाएगा।
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इसमें ऐसे किसान परिवारों को शामिल किया गया है जिसमें पति-पत्नी और 18 वर्ष तक के बच्चे 2 हेक्टेयर भूमि पर खेती करते हों। 1 फरवरी 2019 तक के लैंड रिकॉर्ड में किसान का नाम होना जरूरी है।
- इस स्कीम का लाभ शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्र के किसान उठा सकते हैं। सरकारी कर्मचारियों की बात करें तो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सकेगा। यह योजना 1 दिसंबर 2018 से पूरे देश में लागू हो चुकी है।